प्रवर्तक सदस्य

संस्था परिचय
एवं
प्रसिद्ध संगीत सम्राट स्व. मदनमोहन के गानों पर आधारित प्रतियोगिता

राजस्थान का लोक संगीत जनभावना का दर्पण रहा है। लोक संगीत जनजीवन के सुख दुःख में संजीवनी का काम करता रहा है। पूरे देश में राजस्थानी लोक संगीत, विशेषकर मांड राग ने अपने माधुर्य और अद्भुत लोकप्रियता हासिल की है। पर पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित फिल्मी संगीत के हो-हल्ले की बढ़ती लोकप्रियता में इस संगीत का महत्व दब सा गया है ।
श्री टी. एम. लालाणी, जो गंगाशहर - बीकानेर (राजस्थान) के मूल निवासी एवं वर्तमान में दिल्ली प्रवासी हैं, ने विरासत संवर्द्धन संस्थान का गठन किया है। यह संस्था रजिस्ट्रार आॅफ सोषायटी, बीकानेर में पंजीकृत है।
(Registration Number 299 / बीकानेर 2011-12 Dated 03 मार्च 2012)
राजस्थानी लोक संगीत की विरासत की गिरती हुई लोकप्रियता और लोकग्राहयता की पीड़ा से अनुप्राणित संस्थापक सदस्यों ने लोक संगीत और अन्य प्रकार की गायकी और नृत्य को युगानुकूल परिवर्द्धित और संवर्द्धित करने के मुख्य उद्येश्य के साथ ही इन कलाओं के 'मूल' को कायम रखते हुय Speed-age के अनुकूल प्रयोग कर Outstanding Performers
तैयार करने की योजना बनाई है। विरासत संवर्द्धन हेतु एक आधुनिक ।नकपजवतपनउ और कलाकार प्रशिक्षण और प्रवास गृह बनाये जायेगें। इसके लिए जमीन भी ले ली गई है। संगीत प्रषिक्षण का कार्य चालू कर दिया गया है।
प्रारंभिक परिचयात्मक कार्यक्रम के तौर पर संस्था के उद्घाटन के रूप में दिनांक 28.04.2012 को बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल काॅलेज के आॅडिटोरियम में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस समारोह में दिल्ली की विख्यात कत्थक नृत्यांगना श्रीमती रचना यादव के साथ ही जयपुर के प्रसिद्ध गजल और अर्द्धशास्त्रीय राजस्थानी गीत गायक पं. चिरंजी लाल एवं बीकानेर के लोकप्रिय संगीत प्रषिक्षक पं. पुखराज शर्मा ने मौलिक राजस्थानी गीत प्रस्तुत किये। इस समारोह की जन प्रतिक्रिया बहुत उत्साहवर्द्धक रही।
गायकी के Performers तैयार करने के लिये शीघ्र ही बीकानेर में दूसरे कार्यक्रम की योजना बनाई है। इस आयोजन के माध्यम से राजस्थानी लोक गीतों में निष्णात गायक / गायिकाओं को तैयार करने और उनमें निखार लाने के प्रयासों का प्रारम्भ मधुर संगीत के गायक-गायिकाओं की तलाश से कर रहे हैं। इस उपक्रम के लिये प्रसिद्ध फिल्म संगीत निर्देशक स्व. मदनमोहन जी द्वारा स्वरबद्ध गीतों/गानों के आधार पर गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। चूंकि स्व. मदनमोहन जीे के गीतों/गानों व उनकी रचनाओं में राजस्थानी लोक गीतों की तरह ही माधुर्य और लालित्य है। उनके गीतों/गानों से कलाकार की सम्भावनाओं का तुलनात्मक विवेचन किया जा सकेगा। प्रतियोगिता में अव्वल रहे कलाकारों का Performers बनाने हेतु समुचित प्रषिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी ।
यह प्रतियोगिता राजस्थान राज्य स्तर की होगी। जिसमें राजस्थान के किसी भी क्षेत्र का कोई भी प्रतिभागी आवेदन कर सकता है। इस प्रतियोगिता के लिए प्रतिभागी की अधिकतम उम्र सीमा 25 वर्ष होगी।
दैनिक भास्कर के सौजन्य से शीघ्र ही कार्यक्रम की आवश्यक जानकारी पूरे राजस्थान में विज्ञापन एवं सामाचारों द्वारा अवगत कराई जायेगी।
सभी के सहयोग की अपेक्षा में,

आपका
(टोडरमल लालाणी)