| 1. |
इस संस्था का नाम "विरासत संवर्द्धन संस्थान " है जिसे संक्षेप मे 'विरासत ' नाम से संबोधित किया जा सकता है |
| 2. |
संस्था का कार्यलय वर्तमान मे दूगड़ निवास , एम, एस, दूगड़ मार्ग , तेरापंथ भवन के सामने गंगाशहर बीकानेर मे है |
| 3. |
संस्था का कार्यक्षेत्र राजस्थान सम्भाग है। मगर संस्था अपने उदेश्यों की पूर्ति के अनुरूप आवश्यकतानुसार राजस्थान व देश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षण,प्रशिक्षण, शोध, प्रस्तुती आदि कार्य व आयोजन करेगी |
| 4. |
मुल लक्ष्य |
| |
|
राजस्थान की सभी प्रकार की सांस्कृतिक और ललित कलाओ की विरासत विशेषकर संगीत की सभी विधाओं का संरक्षण एवं युगानुकूल संवर्द्धन करना तथा इसे लोकरूची पूर्ण बनाना इस मंच संस्था का मुख्य लक्ष्य है |
| 5. |
मुख्य कार्यक्रम |
| |
1. |
राजस्थान की परम्परागत लोकगीतों और लोकनृत्यों में मूल को सुरक्षित रखते हुए युगानुकूल संवर्द्धन परिवर्द्धन द्वारा लोक चेतना जागृत करना और लोक ? के लिए कार्य करना ! |
| |
2. |
गजल गायकी में युगानुकूल संवर्द्धन द्वारा संगीत की इस अमूल्य विधा को नवप्राण देने का प्रयास करना तथा वर्तमान के परिपेक्ष्य में इसे रुचीकर व लोकग्राह्य बनाना! |
| |
3. |
राजस्थान में विकसित कत्थक नृत्यकला का संवर्द्धन परिवर्द्धन करना । |
| |
4. |
राजस्थान में परम्परागत व जन्म विवाह आदि मंगल अवसरों पर गाये जाने वाले मंगल गीतों के प्रचलन को बढ़ाना व इनका संरक्षण व संवर्द्धन करना । |
| |
5. |
अन्य ललित कलाओं के संरक्षण, संवर्द्धन व विकास के कार्य करना । |
| |
6. |
सांस्कृतिक विरासत के अन्य अंगो के विकास में गतिशील होना । |